Changes

आदमी / कुँअर बेचैन

154 bytes removed, 14:37, 9 फ़रवरी 2009
हर शाम किसी चोट का निशान हुआ आदमी।
 
'''''-- यह कविता [[Dr.Bhawna Kunwar]] द्वारा कविता कोश में डाली गयी है।<br><br>'''''