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आदमी / कुँअर बेचैन
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14:37, 9 फ़रवरी 2009
हर शाम किसी चोट का निशान हुआ आदमी।
'''''-- यह कविता [[Dr.Bhawna Kunwar]] द्वारा कविता कोश में डाली गयी है।<br><br>'''''
Pratishtha
KKSahayogi,
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