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|रचनाकार=मदन कश्यप
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<Poem>
खुश हो जाइए, पंडित जी
कि अब गिद्ध्‍ गिद्ध नष्‍ट होने को हैं
कौवे भी पहले जितने नहीं दिखते
कम दिखने लगे हैं काग
वैसे तो आपके अपनों ने ही गढ़े ये जंजाल
तो भी चिंतन से ज्‍यादा बेहतर है
चिंतित होना उससे बेहतर दुखी होना
और इन सबसे बेहतर है सेहत के लिए खुश होना
आप खुश हो जाइए पंडित जी
खुश हो जाइए पंडित जी, कहना
बहुत बड़ी खुशफहमी है।
</poem>