Changes

साँचा:KKPoemOfTheWeek

81 bytes removed, 13:08, 11 फ़रवरी 2009
<div id="kkHomePageSearchBoxDiv" class='boxcontent' style='background-color:#F5CCBB;border:1px solid #DD5511;'>
<!----BOX CONTENT STARTS------>
&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक:''' बाँधो न नाव इस ठाँवजिसकी हममें कमी है, बंधुदोस्तो!<br>&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"आंद्री पिअर (स्विस कवि)]]
<pre style="overflow:auto;height:21em;">
बाँधो न नाव इस ठाँवजिसकी हममें कमी है, बंधुदोस्तो!पूछेगा सारा गाँव, बंधु!वह है साहस
यह घाट वही जिस पर हँसकर,उस समय बोलने का साहसवह कभी नहाती थी धँसकर,जब शब्द जल रहे हों;आँखें रह जाती थीं फँसकर,पत्थर को पत्थर कहने काकाँपते थे दोनों पाँव बंधु!ख़ून को ख़ूनऔर डर को डर
एक दिन, जब वह हँसी बहुत-कुछ कहती थी, बड़ी बर्फ़ आएगीफिर भी अपने में रहती थी, हहराती हुईसबकी सुनती थी, सहती थी,तब कठिन होगादेती थी सबको दाँव, बंधु!ख़ुद को समझ पाना '''अनुवाद : विष्णु खरे
</pre>
<!----BOX CONTENT ENDS------>
</div><div class='boxbottom'><div></div></div></div>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,730
edits