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16:03, 11 फ़रवरी 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नवीन नीर
|संग्रह=
}}
<Poem>
मरने के बाद मेरी लाश को
जलाना ना
दफ़नाना ना
बल्कि काल-चक्र के किसी पेड़ पर
उल्टा टाँग देना
::किसी कंकाल की तरह
ताकि मैं मरने के बाद तो
इस दुनिया को
सीधी तरह देख सकूँ ।
</poem>