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विरह के दो रंग / रंजना भाटिया
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,
13:30, 12 फ़रवरी 2009
{
{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना भाटिया
कि
विरह का यह रंग
सिर्फ़ मेरे लिए नही है ...
.
सही ग़लत की उलझन में
जवाब दे जिंदगी
तू इतनी बेदर्द क्यों है ?..
</poem>
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