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कि
विरह का यह रंग
सिर्फ़ मेरे लिए नही नहीं है ...
सही - ग़लत की उलझन में
बीता जीवन का मधुर पल,
टूटा न जाने कब कैसे
कसमों ,जन्मो जन्मों का वह नाता
साथ है तो ..दोनों तरफ़
अब सिर्फ़ तन्हाई
जवाब दे जिंदगीज़िंदगी
तू इतनी बेदर्द क्यों है ?..
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