Changes

इन दिनों वह-2 / ब्रजेश कृष्ण

1,250 bytes added, 14:23, 13 फ़रवरी 2009
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ब्रजेश कृष्ण |संग्रह= }} <Poem> उसने दहलीज पर बनाई है ...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ब्रजेश कृष्ण
|संग्रह=
}}
<Poem>
उसने दहलीज पर बनाई है अल्पना
ड्वार पर टाँगा है बन्दनवार
उसने बहुत मन से सजाया है पालना
और छोटे से तकिए पर काढ़े हैं
गुलदाउदी के फूल

सात समुद्र पार अनजानी धरती पर
ख़ुश है वह कि पाने को है
जीवन की अर्थवत्ता

देवताओं को आगाह कर वह उठी है अभी
वह बिछा रही है तारों-नक्षत्रों और
रात के सुनहरे उजास से बना बूटेदार क़ालीन
आने वाले शिशु के लिए

प्रतीक्षारत है वह
वह आतुर हो रही है
वह हँस रही है
वह गा रही है
वह चकित हो रही है
वह बीज से वृक्ष हो रही है।
</poem>