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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=बशीर बद्र]][[Category:कविताएँ]]}}[[Category:गज़लग़ज़ल]][[Category:बशीर बद्र]]<poem>मोम की ज़िन्दगी घुला करनाकुछ किसी से न तज़करा करना
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~मेरा बचपन था आईने जैसाहर खिलौने का मुँह तका करना
मोम की ज़िन्दगी घुला करना <br>चेहरा चेहरा मेरी किताबें हैंकुछ किसी से न तज़करा पढ़ने वालो मुझे पढ़ा करना <br><br>
मेरा बचपन था आईने जैसा <br>ये रिवायत बहुत पुरानी हैहर खिलौने का मुँह तका नींद में रेत पर चला करना <br><br>
चेहरा चेहरा मेरी किताबें हैं <br>रास्ते में कई खंडहर होंगेपढ़ने वालो मुझे पढ़ा शह-सवारो वहाँ रुका करना <br><br>
ये रिवायत जब बहुत पुरानी है <br>हँस चुको तो चेहरे कोनींद में रेत पर चला आँसुओं से भी धो लिया करना <br><br>
रास्ते में कई खंडहर होंगे <br>शह-सवारो वहाँ रुका करना <br><br> जब बहुत हँस चुको तो चेहरे को <br>आँसुओं से भी धो लिया करना <br><br> फूल शाख़ों के हों कि आँखों के <br>रास्ते रास्ते चुना करना <br><br/poem>