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15:32, 14 फ़रवरी 2009 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=अमृता प्रीतम
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[[Category:लम्बी कविता]]
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|पीछे=नौ सपने / भाग 1 / अमृता प्रीतम
|आगे=नौ सपने / भाग 3 / अमृता प्रीतम
|सारणी=नौ सपने / अमृता प्रीतम
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<poem>
फागुन की कटोरी में सात रंग घोलूँ
मुख से न बोलूँ
यह मिट्टी की देह सार्थक होती
जब कोख में कोई नींड़ बनाता है
यह कैसा जप? कैसा तप?
कि माँ को ईश्वर का दीदार
कोख में होता...
<pre>... ... ...</pre>
</poem>