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सीढ़ियाँ ही सीढ़ियाँ हैं / यश मालवीय
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13:32, 15 फ़रवरी 2009
सीढ़ियाँ ही सीढ़ियाँ हैं
:: रोशनी ही पी गए
:: कुछ लोग
रोश्नदान
रोशनदान
थे जो
:: आग ही अपनी नहीं
:: किस आग को पालो सहेजो?
गंगाराम
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