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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वेणु गोपाल |संग्रह= }} <poem> ऎसा क्यों होता है- कि कवि ...
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{{KKRachna
|रचनाकार=वेणु गोपाल
|संग्रह=
}}
<poem>
ऎसा क्यों होता है-
कि कवि तो
परदे के खिलाफ़
होता है

लेकिन
उसकी कविता
बिना घूँघ्हट के
बाहर
क़दम तक नहीं रखती
</poem>