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01:15, 16 फ़रवरी 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शमशेर बहादुर सिंह
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[[Category:लम्बी कविता]]
{{KKPageNavigation
|पीछे=अम्न का राग / भाग 5 / शमशेर बहादुर सिंह
|आगे=
|सारणी=अम्न का राग / शमशेर बहादुर सिंह
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<poem>
यह सुख का भविष्य शांति की आँखों में ही वर्तमान है
इन आँखों से हम सब अपनी उम्मीदों की आँखें सेंक
::रहे हैं
ये आँखें हमारे दिल में रौशन और हमारी पूजा का
::फूल हैं
ये आँखें हमारे कानून का सही चमकता हुआ मतलब
और हमारे अधिकारों की ज्योति से भरी शक्ति हैं
ये आँखें हमारे माता-पिता की आत्मा और हमारे बच्चों
::का दिल है
ये आँखें हमारे इतिहास की वाणी
और हमारी कला का सच्चा सपना हैं
ये आँखें हमारा अपना नूर और पवित्रता हैं
ये आँखें ही अमर सपनों की हक़ीक़त और
हक़ीक़त का अमर सपना हैं
इनको देख पाना ही अपने आपको देख पाना है, समझ
::पाना है।
हम मनाते हैं कि हमारे नेता इनको देख रहे हों।
(1945)
</poem>