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देवानन्द से प्रेमनाथ / शैल चतुर्वेदी
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राशन की लाईन में
आगे से
धक्का आया
तो हमारे पीछे से आवाज़ आई-
"आदमियों की लाईन में
हाथी किसने खड़ा कर दिया भाई"
हमने लम्बी सांस ली
तो सामने वाली चिल्लाई-
"महिलाओं को धक्का मारते
शर्म नहीं आई"
हमको कहना पड़ा-
"क्या सांस भी नहीं ले माई"
एक बार सिनेमा हॉल में
Pratishtha
KKSahayogi,
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प्रबंधक
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