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[[Category:ग़ज़ल]]
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मैं इस उम्मीद पे डूबा कि तू बचा लेगा
अब इसके बाद मेरा इम्तेहान क्या लेगा
मैं इस उम्मीद पे डूबा कि तू बचा यह एक मेला है वादा किसी से क्या लेगा<br>अब इसके बाद मेरा इम्तेहान क्या ढलेगा दिन तो हर एक अपना रास्ता लेगा<br><br>
यह एक मेला है वादा किसी से क्या लेगा<br>मैं बुझ गया तो हमेशा को बुझ ही जाऊँगाढलेगा दिन तो हर एक अपना रास्ता कोई चिराग नहीं हूँ जो फिर जला लेगा<br><br>
मैं बुझ गया तो हमेशा को बुझ ही जाऊँगा<br>कलेजा चाहिए दुश्मन से दुश्मनी के लिएकोई चिराग नहीं हूँ जो फिर जला बे-अमल है वो बदला किसी से क्या लेगा<br><br>
कलेजा चाहिए दुश्मन से दुश्मनी के लिए<br>मैं उसका हो नहीं सकता बता न देना उसेजो बे-अमल है सुनेगा तो लकीरें हाथ की अपनी वो बदला किसी से क्या सब जला लेगा <br><br>
मैं उसका हो नहीं सकता बता न देना उसे<br>सुनेगा तो लकीरें हाथ की अपनी वो सब जला लेगा<br><br> हज़ार तोड़ के आ जाऊं उस से रिश्ता वसीम<br>मैं जानता हूँ वो जब चाहेगा बुला लेगा</poem>
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