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17:52, 24 फ़रवरी 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हेमंत जोशी
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<poem>
'''वसंत'''
मस्ती अनन्त
खिले फूल चहुँ ओर
आया वसंत
'''बाज़ारवाद'''
मैने सोचा कायकू
बाज़ार है जब छाया
तो क्यों लिखूँ हाइकू
'''होली'''
वह यूँ बोली
क्यों डाला रंग मुझे
होली है होली
'''भोगवाद'''
बंगला है, गाड़ी है
भोग की जय-जय
घर में सब कुछ है
'''विचारहीनता'''
लंबी नींद औ अच्छा भोजन
क्यों औ क्या करें विचार
जब हर तरफ हो मनोरंजन
</poem>