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चांद और औरत / आलोक श्रीवास्तव-२
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{{KKRachna
|रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-२
|संग्रह=वेरा, उन सपनों की कथा कहो! / आलोक श्रीवास्तव-२
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poem
Poem
>
चांद पकड़ने को बढ़ती है एक औरत
अपनी स्मृतियों बाहर आ कर
अनिल जनविजय
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