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सुबह की धूप / सुधा ओम ढींगरा

3 bytes removed, 00:49, 26 फ़रवरी 2009
न कोई इसका दुश्मन जग में न कोई दोस्त;
सब पर अपना प्यार लुटाए यह सुबह की धूप!
 
 
 
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