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सुबह की धूप / सुधा ओम ढींगरा
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00:49, 26 फ़रवरी 2009
न कोई इसका दुश्मन जग में न कोई दोस्त;
सब पर अपना प्यार लुटाए यह सुबह की धूप!
</poem>
अनूप.भार्गव
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