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गुरेज़ करते हैँ सब उसकी मेज़बानी से
भुगत रहा है वह अपने किए का ख़ामयाज़ाख़मियाज़ा 
है तंग क़फिया इस बहर में ग़ज़ल के लिए
दिखाता वरना मैं ज़ोरे क़लम का अंदाज़ा
वह सुर्ख़रू नज़र आता है इस लिए `बर्क़ी'
है उसके चेहरे का ख़ूने जिगर मेरा ग़ाज़ा