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यह चैत / आलोक श्रीवास्तव-२
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|संग्रह=वेरा, उन सपनों की कथा कहो! / आलोक श्रीवास्तव-२
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poem
Poem
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चैत फिर आया है
खिले हैं वन में पलाश
अनिल जनविजय
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