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सर झुकओगे तो पत्थर / बशीर बद्र
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15:19, 1 मार्च 2009
ज़हर भी इसमें अगर होगा, दवा हो जाएगा ।
सब उसी के हैं, हवा,
ख़ुश्बु
खुश्बू
, ज़मीनो-आस्माँ,
मैं जहाँ भी जाऊँगा, उसको पता हो जाएगा ।
</poem>
Shrddha
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