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ताजमहल / साहिर लुधियानवी

1 byte removed, 11:53, 8 मार्च 2009
<poem>
ताज तेरे लिये इक मज़हर-ए-उल्फ़त<ref>प्रेम का द्योतक</ref>ही सही
तुम को तुझको इस वादी-ए-रंगीं<ref>रमणीय स्थान</ref>से अक़ीदत<ref>श्रद्धा</ref> ही सही
मेरी महबूब<ref>प्रेयसी</ref> कहीं और मिला कर मुझ से!