530 bytes added,
13:41, 11 मार्च 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=पॉल एल्युआर
}}
<poem>
झूठे होते हैं गूँगे
बोल
मैं वाकई नाराज़ हूँ
अकेले ही बोल, बोल
और मेरे यह शब्द
उपजाते हैं ग़लतियाँ
बोल
ऐ मेरे नन्हे हृदय
बोल।
</poem>
'''मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी