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दोपहर का अख़बार / कैलाश वाजपेयी
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04:54, 15 मार्च 2009
दे देने की कोशिश करता हूँ उसे
"आज नहीं कल
क
ल
कल
आना इसी वक़्त
कल एक सुर्ख़ ख़बर होगी
अख़बार में."
</poem>
द्विजेन्द्र द्विज
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