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|रचनाकार=लुई आरागों
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<poem>
......( तुम को)
यह तुम्हें निराश करने को नहीं कहता
अपने सामने देखो वह अगाध गर्त
और कुचलना सीखो उसे

ख़त्म होता गीत भी कम सुन्दर नहीं होता

सीखो, उस गीत को सुनना भी
जो पहाड़ों पर गूँज रहा प्रतिध्वनियों से

हम अकेले नहीं हैं इस दुनिया में
उसे गुनगुनाने के लिए

गीतों की संपूर्णता ही नाटक है
इस नाटक में सीखो अपनी भूमिका निभाना
आवाज़ें खामोश भी हो जाएँ
तो भी मत भूलो
कि लम्बे समूह गान में
बार-बार दुहराया जाता है एक टुकड़ा
जब तक गायक नहीं ले लेता अंतिम श्वास

उसने बख़ूबी निभाई है भूमिका अपनी
कोई मायने नहीं रखता
अगर तुम मुझे त्याग दो
आधे रास्ते पर
संभव है
मैं ही तुम्हें छोड़ दूँ
किसी परिकल्पना की तरह
और आख़िरी बार उठूँ
किसी नर्तक की तरह

मत करो उससे नफ़रत
हालाँकि धोखा दिया है उसने
उन सायों को
जो आज भी जीवित हैं उसकी ऑंखों में

कुछ नहीं है मेरे पास
इस धुँधलाती हुई रोशनी के सिवा
जो तुम्हें भेंट कर सकूँ

कल का आदमी
ऍंगारों को हवा दे रहा है
और मैं तुमसे वही कह रहा हूँ
जो देखता हूँ।

</poem>

'''मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी
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