Changes

ज़ख्म जब भी कोई ज़हनो दिल पे लगा, तो जिंदगी की तरफ़ एक दरीचा खुला
हम भी गोया किसी साज़ की तरह हैंके तार है, चोट खाते रहे और गुनगुनाते रहे ।।