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अजनबी शहर के / राही मासूम रज़ा
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12:20, 21 मार्च 2009
ज़ख्म जब भी कोई ज़हनो दिल पे लगा, तो जिंदगी की तरफ़ एक दरीचा खुला
हम भी गोया किसी साज़ के तार है, चोट खाते रहे
और
,
गुनगुनाते रहे ।।
Ashish.shrivastava7
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