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18:38, 23 मार्च 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अमेलिया हाउस
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<poem>
सहो
मेरी जन्मभूमि
सहो
ज़ोर लगाओ
तुमने गहा है इस बीज को
उसके पूरे समय तक
सहो
और ज़ोर लगाओ
केवल तुम ही दे सकती हो जन्म
हमारी आज़ादी को
केवल तुम ही महसूस कर सकती हो
इस पूरे भार को
सहो
हम तुम्हारे साथ रहेंगे
तुम्हें पीड़ा से मुक्ति दिलानी ही होगी
सहो
सहो
और ज़ोर लगाओ!
</poem>
'''अंग्रेज़ी से अनुवाद : हेमन्त जोशी