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न रखो वह तस्वीरें हरी जिनसे दिल दुखता हो/ विनय प्रजापति 'नज़र'
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11:48, 24 मार्च 2009
'''शब्दार्थ:
जीस्त
ज़ीस्त
: जीवन
''नोट'': इस ग़ज़ल में विनय प्रजापति का दूसरा तख़ल्लुस 'वफ़ा' इस्तेमाल हुआ है।
</poem>
विनय प्रजापति
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