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कर लिए मैंने मुहब्बत में अना के टुकड़े / गोविन्द गुलशन
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16:48, 28 मार्च 2009
टूटने से मेरी बच जाए ये साँसों की लड़ी
मुझको मिल जाएँ
जो
कहीं से
जो
दुआ के टुकड़े
</poem>
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