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|रचनाकार=अंशु मालवीय
|संग्रह=दक्खिन टोला / अंशु मालवीय
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कौसर बानो की बस्ती नरोदा पाटिया , अहमदाबाद पर 28 फरवरी 2002 को हमला हुआ। वह गर्भवती थी। हत्यारों ने पेट चीर कर गर्भस्थ शिशु को आग के हवाले कर दिया। इस कविता में शिशु को लडकी माना गया है कुछ अन्य संकेतों के लिए:
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कौसर बानो की बस्ती नरोदा पाटिया , अहमदाबाद पर 28 फरवरी 2002 को हमला हुआ। वह गर्भवती थी। हत्यारों ने पेट चीर कर गर्भस्थ शिशु को आग के हवाले कर दिया। इस कविता में शिशु को लडकी माना गया है कुछ अन्य संकेतों के लिए
 
 
सब कुछ ठीक था अम्मा !
तेरे खाए अचार की खटास
चुभती हुई आग है !
मुझे कब तक जलना होगा .....अम्मा !!!
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