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18:24, 31 मार्च 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ज़ाक प्रेवेर
}}
<poem>
मैं गया पंछी-बाज़ार
और ख़रीदे पंछी मैंने
तेरे लिए
मेरी प्रिये
मैं गया फूल-बाज़ार
और ख़रीदे मैंने फूल
तेरे लिए
मेरी प्रिये
मैं गया लोहा-बाज़ार
और मैंने ख़रीदीं जंज़ीरें
भारी-भारी जंज़ीरें
तेरे लिए
मेरी प्रिये
फिर मैं गया ग़ुलामों के बाज़ार में
और तुझे खोजा
मगर तुझे पाया नहीं
मेरी प्रिये।
</poem>
'''मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी