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घर की याद / भवानीप्रसाद मिश्र
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00:20, 1 अप्रैल 2009
माँ कि जिसकी स्नेह-धारा,
का यहाँ तक भी
पसरा
पसारा
,
उसे लिखना नहीं आता,
जब कि नीचे आए
न
होंगे,
नैन जल से छाए होंगे,
Prashant kumar
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