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गाय / धर्मेन्द्र पारे
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,
04:54, 2 अप्रैल 2009
उन तीन दिनों में मैं भी
टुकुर-टुकुर कई बार
जाकर इसकी आँखें
देकता
देखता
रहा था
डा० जगदीश व्योम
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