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{{KKRachna
|रचनाकार=ज़ाक प्रेवेर
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<poem>
मैं जैसा हूँ वैसा हूँ
मैं ऐसा ही बना हूँ
जब होती है हँसने की इच्छा
हाँ, मैं ठहाके मार कर हँसता हूँ

प्यार करता हूँ उन्हें जो प्यार करते हैं मुझे
क्या यह मेरी ग़लती है
(अगर यह वैसे ही नहीं होता)
कि हर बार मैं प्यार करता हूँ?

मैं जैसा हूँ वैसा हूँ
मैं ऐसा ही बना हूँ
तुम और क्या चाहते हो?
क्या चाहते हो तुम मुझसे?

मैं चाहने के लिए बना हूँ
मेरी एड़ियाँ बहुत ऊँची हैं
मेरा कद बहुत झुका हुआ
मेरा सीना बहुत ज़्यादा कठोर
और मेरी आँखें बहुत ज़्यादा कमज़ोर
और फिर
इससे तुम्हारा क्या होगा?
मैं जैसा हूँ वैसा हूँ
मैं ऐसा ही बना हूँ

क्या होगा इससे तुम्हारा
जो मुझे हुआ था?

हाँ, मैने किसी से प्यार किया था
हाँ, उसने मुझे प्यार किया था
उन बच्चों की तरह जो आपस में प्यार करते हैं
केवल प्यार करना जानते हैं
प्यार करना
प्यार करना
क्यों करते हो मुझसे प्रश्न
यहाँ मैं तुम्हें खुश करने के लिए हूँ
और यहाँ कुछ बदल नहीं सकता।

</poem>

'''मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी
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