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मुसीबत में / पंकज चतुर्वेदी

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{{KKRachna
|रचनाकार=पंकज चतुर्वेदी}}
<poem>
अचानक आयी बीमारी
दुर्घटना
या ऐसे ही किसी हादसे में
हताहत हुए लोगों को देखने
उनसे मिलने
उनके घर जाओ
या अस्पताल

उन्हें खून दो
और पैसा अगर दे सको
नहीं तो ज़रूरत पड़ने पर क़र्ज़ ही
उनके इलाज में मदद करो
जितनी और जैसी भी
मुमकिन हो या माँगी जाय

तुम भी जब कभी
हालात से मजबूर होकर
दुखों से गुज़रोगे
तब तुम्हारा साथ देने
जो आगे आयेंगे
वे वही नहीं होंगे
जिनकी तीमारदारी में
तुम हाज़िर रहे थे

वे दूसरे ही लोग होंगे
मगर वे भी शायद
इसीलिए आयेंगे
कि उनके ही जैसे लोगों की
मुसीबत में मदद करने
तुम गये थे
</poem>
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