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कच्ची गणित का प्रश्न / शार्दुला नोगजा
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06:41, 11 अप्रैल 2009
मैं ही हर संगीत का आगाज़ हूँ और अंत भी हूँ
मैं तुम्हारी मोहिनी हूँ, मैं ही ज्ञानी संत भी हूँ
शिंजनी उस
स्पर्शकी
स्पर्श की
जिसको नहीं हमने संवारा
चेतना उस स्वप्न की जो ना कभी होगा हमारा ।
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