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कह-मुकरियाँ / अमीर खुसरो
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13:39, 25 अगस्त 2006
ऐ सखी साजन? ना सखी, चांद! <br><br>
वो
आए तब
आवै तो
शादी
होवे
होय
<br>
उस बिन दूजा और न कोय <br>
मीठे लागें वा के बोल। <br>
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घनश्याम चन्द्र गुप्त