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नागफनी / के० सच्चिदानंदन

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कभी ये कांटे फूल थे
मैं दगाबाज प्रेमियों से नफरत करता हूँ
कविओं कवियों ने मरुस्थल से कन्नी काट ली है
बगीचों की ओर लौटने में
सिर्फ यहाँ ऊँट बचे, और व्यापारी
जो रौंद डालते हैं मेरी लाली को धूल में
पानी की हर दुष्प्राप्य बूँद बूंद के लिए एक काँटा
मैं तितलियों को नहीं ललचाता
कोई चिड़िया मेरी प्रशंषा प्रशंसा में गीत नहीं गाती
मैं अकाल नहीं उपजाता
प्रतिभाषा
'''मूल मलयालम से स्वयं कवि द्वारा अंग्रेजी अंग्रेज़ी में अनूदित. अनूदित। अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद: व्योमेश शुक्ल
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