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यह मोजज़ा भी मुहब्बत कभी दिखाए मुझे / क़तील
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03:07, 15 अप्रैल 2009
मैं घर से तेरी तमन्ना पहन के जब निकलूँ
बरह्ना <ref> नंगा,ख़ाली </ref> शहर में कोई नज़र न आए मुझे
वही तो सब से ज़्यादा है नुक्ताचीं मेरा
द्विजेन्द्र द्विज
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