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मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक / माखनलाल चतुर्वेदी
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14:03, 15 अप्रैल 2009
मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक!
प्रलय-प्रणय की मधु-सीमा में
जी का विश्व
वसा
बसा
दो मालिक!
रागें हैं लाचारी मेरी,
अनिल जनविजय
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