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20:20, 17 अप्रैल 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा
|संग्रह=
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<Poem>
पूज पाया जो नहीं इंसान को!
पूज पायेगा कहाँ भगवान् को??
दूसरों का हक़ दबाना चाहते
पूजते हैं लोग वे शैतान को!!
पूज्य हैं सबसे प्रथम माता-पिता,
सीखना यह चाहिए संतान को!!
देश में राजा भले पुजते रहें,
पूजती दुनिया मगर विद्वान् को!!
</poem>