परमानन्ददास, नन्ददास, कृष्णदास, [[मीराबाई]], [[भारतेंदु हरिश्चंद्र]] आदि के पदों में सूर की मार्मिकता मिलती है। [[तुलसीदास]] जी ने भी अपनी कूछ रचनाएँ पदशैली में की हैं। वर्तमान में पदशैली का प्रचलन नहीं के चरावर है परन्तु सामान्य जनता और सुशिक्षित जनों में सामान्य रूप से इनका प्रचार और आकर्षण है।<br><br>
'''कविता कोश में [http://hiwww.literaturekavitakosh.wikia.comorg/wikikk/index.php?title=%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%A3%E0%A5%80:%E0%A4%AA%E0%A4%A6 पद]'''<br><br>
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