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निभाई है यहाँ हमने मुहब्बत भी सलीक़े से / सतपाल 'ख़याल'
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11:23, 18 अप्रैल 2009
यक़ीं कुछ देर से होगा नहीं अब दिन वो पहले से
घरों से उबकर अब लोग
मैख़ा
ने
मैख़ाने
में आ बैठे
सजी हैं महफ़िलें देखो यहाँ कितेने क़रीने से
Sat pal khyaal
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