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साँचा:KKPoemOfTheWeek
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08:58, 21 अप्रैल 2009
अपने ठीये पे चक्कर लगाया करो|
वक्त
वक़्त
की रेत
मुठ्ठी
मुट्ठी
में रुकती नहीं,
इसलिए कुछ हरे पल चुराया करो|
अनिल जनविजय
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