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साँचा:KKPoemOfTheWeek

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अपने ठीये पे चक्कर लगाया करो|
वक्त वक़्त की रेत मुठ्ठी मुट्ठी में रुकती नहीं,
इसलिए कुछ हरे पल चुराया करो|
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