514 bytes added,
19:39, 21 अप्रैल 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा
|संग्रह=
}}
<Poem>
केसर की क्यारी में
कितने बरस से
लगातार बढ़ती ही जाती है
लाशों की बदबू;
घटती नहीं.
बर्फ का शिवलिंग
हर बरस आप से आप बढ़ता है
और घट भी जाता है
आप से आप।
</poem>