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हम सब / विष्णु नागर
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21:38, 25 अप्रैल 2009
}}
<poem>
हम सब जहाँ से होते हुए जायेंगे
वहाँ कुछ देर अपनी गठरियाँ रखेंगे
तम्बाकू खायेंगे।
हम जहाँ
-
जहाँ जायेंगे
गठरियाँ रखेंगे
तम्बाकू खायेंगे।
</poem>
हेमंत जोशी
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