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हमको देखो ज़रा क़रीने से / गोविन्द गुलशन
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17:30, 27 अप्रैल 2009
तुम मिलो तो निजात मिल जाए
रोज़ मरने से,
रोज़
और
जीने से
रोज़ आँखें तरेर लेता है
Govind gulshan
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