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तीन अपाहिज / गिरधर राठी
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|रचनाकार= गिरधर राठी
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कुल जमा तीन पात्र
होंठ, कान, आँख
तीनों अपंग
नेपथ्य हाथ भाँजता रह गया
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हेमंत जोशी
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