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[[Category:ग़ज़ल]]
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जब से बुल-बुल तू ने बुलबुल तूने दो तिनके लिये टूटती है बिजलियाँ इन के इनके लिये
है जवानी ख़ुद जवानी का सिन्ग़ार
सादगी गहना है उस सिन्न के लिये
 
[गहना = जेवर]
कौन वीराने में देखेगा बहार
फूल जंगल में खिले किन के किनके लिये
सारी दुनिय के हैं वो मेरे सिवा
मैंने दुनिया छोड़ दी जिन के लिये
बाग़बाँ कलियाँ हों हल्के रन्ग रंग की
भेजनी हैं एक कमसिन के लिये
सब हसीं हैं ज़ाहिदों को नापसन्द
अब कोई हूर आयेगी इन के इनके लिये
वस्ल का दिन और इतना मुख़तसर
दिन गिने जाते थे इस दिन के लिये
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