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गाँव खेतों-क्यारियों में बोलता है / ऋषभ देव शर्मा
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19:06, 1 मई 2009
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|रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा
|संग्रह= तेवरी / ऋषभ देव शर्मा
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<Poem>
गाँव, खेतों-क्यारियों में बोलता है
चीख में, सिसकारियों में बोलता है
आपका चेहरा रँगेगा खून मेरा
आपकी पिचकारियों में बोलता है
</poem>
चंद्र मौलेश्वर
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